Heart disease: इस संबंध में हृदय रोग विशेषज्ञों का कहना है कि हार्ट अटैक या हृदय रोग बढ़ने के कई कारण हैं। जिनमें से एक है जीवनशैली में बदलाव, खान-पान की गलत आदतें, मानसिक आदि।
हृदय रोग के लिए कुछ आनुवंशिक या वंशानुगत कारक भी होते हैं। यदि रक्त में खराब कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक हो तो इसका असर हृदय स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। जैसे-जैसे लोग जंक फूड के आदी होते जाते हैं, रक्त में खराब कोलेस्ट्रॉल बढ़ता जाता है। नतीजन दिल भी कमजोर होता जा रहा है। इसके अलावा तनाव, अधिक वजन, मधुमेह भी होता है।
सामान्य तौर पर हृदय रोग के कारण सीने में असहनीय दर्द होता है। साथ ही पसीना और शरीर खराब लगता है। अगर शरीर लगातार खराब होता रहे तो हृदय रोग हो सकता है। कोरोनरी धमनी या हृदय की धमनी में रुकावट मानव शरीर में विभिन्न समस्याओं का कारण बनती है। कई बार ये समस्याएँ चुपचाप पनपती रहती हैं।
यदि किसी को उच्च रक्तचाप, मधुमेह या हृदय रोग का पारिवारिक इतिहास है, तो 30 या 35 वर्ष की आयु से वर्ष में एक बार हृदय की जांच कराना अच्छा होता है। नियमित ईसीजी टेस्ट, ब्लड शुगर टेस्ट और ब्लड प्रेशर टेस्ट करवाना चाहिए। प्रतिदिन कम से कम एक मील पैदल चलें। अगर आपको धूम्रपान की आदत है तो इससे बचना चाहिए। पीना बंद करें। रक्त सीरम, लिपिड की नियमित जांच करनी चाहिए। यदि बाइपास सर्जरी कम उम्र में की गई हो तो दस से पंद्रह साल बाद दोबारा जांच कराना जरूरी होता है। बाइपास से भी दिल का दौरा पड़ने की संभावना बनी रहती है।