सरीला(हमीरपुर):- क्षेत्र के चंडौत गांव में शनिवार को मेला मैदान में दिवारी नृत्य का आयोजन हुआ, जिसमें ढोलक की थाप पर थिरकते जिस्म के साथ लाठियों का अचूक वार करते हुए तमाम युवा दिखाई देते हैं। इस नृत्य में युद्ध कला को दर्शाया जाता है जिसे देख लोग दांतों तले अंगुलियां दबाने पर मजबूर हो जाते हैं।
दिवारी नृत्य करते युवाओं के पैतरे देख कर ऐसा लगता है मानो यह लोग दिवारी मानने नहीं बल्कि युद्ध का मैदान जीतने निकले हो, इस अनूठी कला में 10 वर्ष के बालक से लेकर 60 साल के वृद्ध भी लाठियां चलाते नज़र आते हैं। क्षेत्र में होने वाला दिवारी नृत्य युद्ध सा प्रतीत होता है।
दिवारी नृत्य देखने वालों को लगता है जैसे कोई जंग का मैदान हो, हाथों में लाठियां, रंगीन नेकर के ऊपर कमर मैं फूलों की झालर, पैरों में घुंघरू बांधे जोश से भरे यह नौजवान बुंदेलखंडी नृत्य दिवारी खेलते हुए परंपरागत ढंग से दीपोत्सव मनाते हैं।
दिवारी नृत्य के साथ ही मोनिया मोरपंख के साथ प्रदर्शन करते है। सुबह से ही मोनिया गाय की पूजा करने के बाद हाथों में मोर पंख लेकर निकल पड़ते है और आधे दर्जन से अधिक गांवों का भ्रमण करते हैं। इस दौरान जगह-जगह पड़ने वाले मंदिरों में पूजा करते हैं और प्रसाद चढ़ाते हैं पूरे दिन मोनिया मौन व्रत रखकर पूजा अर्चना करते हैं।
News by Anil