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2 October: गांधीजी के भारत लौटने के बाद भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया।

2024-10-01  Nisha Agarwal
2 October:महात्मा गांधी (मोहनदास करमचंद गांधी) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता और दुनिया भर में अहिंसा के प्रतीक माने जाते हैं। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था, और उनकी मृत्यु 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली में हुई थी। गांधीजी का जीवन दर्शन अहिंसा (non-violence) और सत्याग्रह (सत्य के प्रति आग्रह) पर आधारित था। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में भारतीय प्रवासियों के अधिकारों के लिए संघर्ष करते हुए अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की, और वहीं से उन्होंने अहिंसात्मक प्रतिरोध की अपनी तकनीक विकसित की।
 

 2 अक्टूबर: महात्मा गांधी - राष्ट्रपिता की जयंती

2 अक्टूबर एक विशेष दिन है जो भारत के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है। यह दिन महात्मा गांधी की जन्मतिथि है, जिन्हें प्यार से 'बापू' कहा जाता है। गांधी जी न केवल भारत के स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत थे, बल्कि वे एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिन्होंने पूरे विश्व को शांति और अहिंसा का संदेश दिया।

गांधी जी का जीवन परिचय

मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने अपने जीवन के शुरुआती वर्षों में वकालत की पढ़ाई की और बाद में दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ संघर्ष किया। भारत लौटने के बाद, उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया और अहिंसा के सिद्धांत को अपनाया।

गांधी जी के मुख्य सिद्धांत

1. अहिंसा: गांधी जी ने हमेशा शांतिपूर्ण विरोध पर जोर दिया।  
2.सत्याग्रह: सत्य और न्याय के लिए दृढ़ रहना।  
3.स्वदेशी: स्थानीय उत्पादों और कौशल को बढ़ावा देना।  
4.सर्वोदय: सभी का उत्थान और कल्याण।

गांधी जयंती का महत्व

2 अक्टूबर को गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह दिन न केवल गांधी जी को श्रद्धांजलि देने का अवसर है, बल्कि उनके आदर्शों और सिद्धांतों को याद करने और उन्हें अपने जीवन में उतारने का भी समय है। इस दिन, लोग शांति मार्च निकालते हैं, प्रार्थना सभाएँ आयोजित करते हैं, और समाज सेवा के कार्यों में भाग लेते हैं। महात्मा गांधी का जीवन और उनके सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं। उनका संदेश हमें याद दिलाता है कि हम सभी में परिवर्तन लाने की शक्ति है। गांधी जयंती हमें यह अवसर देती है कि हम अपने जीवन में शांति, करुणा और सेवा के मूल्यों को अपनाएं और एक बेहतर समाज का निर्माण करें।

भारत लौटने के बाद, गांधीजी ने ब्रिटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया। उनके कुछ प्रमुख आंदोलनों में शामिल हैं:

1. असहयोग आंदोलन (1920): ब्रिटिश वस्त्रों और संस्थाओं का बहिष्कार।

2. दांडी मार्च (1930): नमक कानून का विरोध।

3. भारत छोड़ो आंदोलन (1942): अंग्रेजों से देश छोड़ने की मांग।

गांधीजी का उद्देश्य एक समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और समानता पर आधारित भारत बनाना था। उनके आदर्शों का प्रभाव केवल भारत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि विश्वभर में मानवाधिकार और स्वतंत्रता आंदोलनों को प्रेरणा दी।

गांधीजी को "राष्ट्रपिता" और "बापू" के नाम से भी जाना जाता है। उनके योगदान और विचार आज भी पूरी दुनिया में प्रेरणादायक माने जाते हैं।

 

 

 


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